कहानी शुरू होती है पश्चिमी राजस्थान के गाँव से जो न तो पाकिस्तानी बॉर्डर से ज्यादा पास में था और न ही शहर किसी के पास ,हालाँकि इंडियन आर्मी की सड़क द्वारा नेशनल हाईवे से जुड़ा हुआ है |शहर गाँव से तक़रीबन १:३० घन्टे की दुरी पर ही था लेकिन बढती कोरोना की खबरों के बीच लोग शहर आने जाने से डरने लगे थे हालाँकि जिले भर से कोरोना का एक भी मरीज नही मिला था |
सरकार के जनता कर्फ्यू व कम्पलीट लोक डाउन लगने के बाद हरी को अपने एग्जाम देने व आगे की पढाई के लिए कोटा जाने के प्लान पर पानी फिरता दिखाई दिया |
एक के बाद एक लोक डाउन लगते गये अब तो खेतो काम भी समाप्त हो चुके थे हरी दिन के बहुत अधिक समय खाली रहने लगा था तो उसने सुबह शाम एक्सरसाइज करनी शुरु कर दी जिससे उसे अच्छी नीद आने लगी तो कुछ खालीपन कम महशूस हो रहा था लेकिन आप जब ज्यादा सोना चाहते हो तो नीद भी नाराज हो जाती है |हरी ने अपने खाली समय में बकरियां चराना शुरू कर दिया वक्त बड़ी मुस्किलो से गुजर रहा था पर इतने में ही वक्त की कमी महशुस होने लगी थी बकरिया चराने में उसका मन लग गया ऐसा नही था वजह थी उसके पड़ोस वाले घर में कई दिनों तक मेहमान बनकर आई हुई यौवनवती |
नाम – मुन्नी ,उम्र -यही कोई १६ – १७ वर्ष के आसपास ही थी | सूर्य की तरह चमकता तेजस्वी चेहरा व सागर सी गहरी हलकी भूरी सी आँखे उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा रही थी | गुलाबी होठो पर हल्की मुस्कान वाला उसका चेहरा हर कोई देखे तो देखता ही रह जाए |
हरी मुन्नी को बचपन से जनता था साथ में खेले कूदे थे लेकिन तब की बात कुछ और थी ,अब की बात कुछ और ही थी |
सुबह शाम दोनो की मुलाकात होती ही थी पर दिन में भी किसी काम से एक दुसरे के घर आना जाना भी होता था तब फिर हरी की आँखों को हल्का सा सुकून मिल जाता था |
हरी अधिक से अधिक समय मुन्नी के साथ बिताना चाहता था वह इसका कोई मोका नही छोड़ता था |हरी ने मुन्नी के साथ और अधिक वक्त बिताने का प्लान बनाया और वह कामयाब भी हो गया उसने खेत में बड़े से खेजड़ी के पेड़ पर झुला बनाने और झूलने का आईडिया दिया था जो मुन्नी को बहुत पसन्द आया |
हरी बकरिया लेकर खेत में जाता था जहा मुन्नी भी झुला झूलने आ जाया करती थी |दोनों देर तक एक दुसरे को झुला झुलाते और देर सारी बाते करते थे जो हरी को एक सुकून भरा एहसास देता था |मुन्नी को भी हरी का मजाकिया अंदाज काफी पसंद आता था |
ऐसे ही एक दिन मस्ती मजाक चल रहा था और किसी बात को लेकर दोनों में हलकी धक्का मुक्की शुरू हो गयी इसी खीच तान में मुन्नी के लम्बे नाखुनो से हरी के चेहरे पर हल्की सी खरोंच आ गयी जिससे हरी को गुच्छा आ गया और वह गुच्छे के लाल पीला हो गया |मुन्नी डर गयी हरी ने मुन्नी का हाथ कसकर पकड़ा और इधर उधर देखने लगा वह किसी धारदार वस्तु की तलाश में था जिससे मुन्नी के नाख़ून काटकर अपने चेहरे पर आई खरोंच का बदला ले सके |कसकर पकड़ने के कारण मुन्नी को बहुत दर्द हो रहा था पर वह डर के मरे कुछ भी बोल नही पायी |कुछ देर तक इधर उधर देखने के बाद भी हरी को कोई एसी वस्तु नही मिली थी जिससे वह मुन्नी के नाख़ून कट सके |मुन्नी ने अपना हाथ छुड़ाने का प्रयास किया पर सफल नही हो पाई उसने फिर से प्रयास किया अब हरी ने मुन्नी को अपनी और जोर से खीच लिया |कोई कुछ भी बोल नही रहा था मुन्नी दूर जाने का प्रयास करती और हरी उसे फिर से पास ले आता इसी खीच तान में पता नही कब मुन्नी हरी की बाहों में आ गयी थी और हरी ने उसे कसकर पकड लिया इस बार मुन्नी ने भी छुड़ाने का प्रयास नही किया बल्कि उसने भी हरी को कसकर पकड़ लिया कुछ देर तक दोनों एक दुसरे की हृदय की धड़कन और गर्म सांसो का अहसास करते रहें |
हरी का गुच्छा पता नही कब शान्त हो गया | हवा के से खिड़की हिली तो तो दोनों झट से एक दुसरे से अलग हो गये दोनों ने चारो तरफ देखा तो वहा कोई नही था सब गहरी नीद सोये हुए थे हरी और मुन्नी ही भरी दुपहरी में जाग रहे थे | मुन्नी दे खिड़की से जाक कर देखा तो वहा भी कोई नही था दोनों ने राहत की साँस ली |हरी ने फिर से मुन्नी का हाथ पकड़ा और नाखुनो को तोड़ने का प्रयास करने लगा पर इस बार उसका अंदाज कुछ बदला हुआ था वह न ही तो गुच्छे में था और न ही उसने हाथ को कसकर पकड़ा हुआ था |मुन्नी ने भी इस बार अपना हाथ छुड़ाने का प्रयास नही किया बल्कि अपना दूसरा हाथ हरी के काँधे पर रख दिया दोनों की आँखे मिली तो कुछ देर तक दोनों एक दुसरे की आँखों में खो गयें और फिर से एक दुसरे की बाँहों में उलझ गये तथा काफी देर तक ऐसे ही रहे दोनों को एक अलग ही अहसास हो रहा था |जब हरी ने अपना हाथ मुन्नी की पीठ तथा कमर पर घूमाया तो मुन्नी ने हरी को कसकर पकड लिया फिर से कुछ देर तक सन्नाटा छा गया |मुन्नी अपना मुँह हरी के मुँह के पास लाई और हरी के होठो को चूम लिया हरी एकदम शान्त होकर इस अहसास को जी रहा था मुन्नी ने अपना हाथ हरी के गाल पर फिराया और हरी की आँखों में देखा तो हरी को लगा की वह उसे चूमने को कह रही हो |हरी ने अपने होठो को मुन्नी के होठो से मिलाया और उसके कोमल तथा गुलाबी होठो को चूमा तो वह चूमता ही चला गया |
इस प्रकार इनकी सोशल डिस्टेन्स तो टूट गयी थी पर मर्यादा नही तोड़ी | पर इसे भी भूलना दोनों के लिए नामुमकिन सा हो गया क्योकि आज पहले दोनों इस प्रकार किसी को नही चूमा था |हरी को डर लग रहा था की कोई आ न जाए और उन्हें इस हालत में देख न ले यदि देख लिया तो उनकी एक भी हाल न होने वाला था इस लॉक डाउन में खी भाग भी नही सकता था वही मुन्नी इस बात से बेखोफ तथा आत्मविश्वास से पूर्ण थी |हरी अब मुन्नी से अपने घर जाने को कह रहा था वही मुन्नी उसके दर का फायदा उठाकर उसे और डरा रही थी
मुन्नी फिर से हरी की बाहों में आ गयी और उसे चूमने लगी हरी को भी यह सब खूब भा रहा था पर उसे किसी के आ जाने का डर सता रहा था मुन्नी ने उसको जी भर कर चूमा और शाम को झूले पर आने का बोलकर चली गयी|हरी ने राहत की साँस ली और मन में ही गुनगुनाया बच गये किसी ने नही देखा अगर कोई देख लेता तो पता नही क्या होता |
शाम को झूले पर मिले , कोई कुछ भी बोल नही पाया पर दोनों को पता था की एक दुसरे के मन में क्या चल रहा है |अगले दिन दोपहर को मुन्नी हरी के घर पर आई कल की तरह आज भी सब लोग सो गये थे पर हरी अकेला ही बाहर वाले कमरे में लेता कुछ सोच रहा था मुन्नी सीधी उसके कमरे में आई और हरी की चारपाई पर बैठ गयी हरी अपने ख्यालो से बाहर आया तो मुन्नी को देखकर चोंक गया और उठने लगा तो मुन्नी ने उसे वापस लेटा दिया और आँखों से इशारा करके बताया की कोई नही है हरी मुन्नी की आँखों में ही कही खो गया |मुन्नी ने उसकी सीने पर अपना सर रखा और हरी की बाहों में सो गयी दोनों को इस पल एक अलग ही अहसास हुआ दोनों एक दुसरे में खोते जा रहे थे हरी ने मुन्नी के गालो पर आये हुए बालो को सवारता तो मुन्नी आँखे बंद करके उसके हाथो को महसूस करने लगी हरी उसके चाँदनी रंग के मुस्कराते हुए चेहरे को देखता ही रह गया मुन्नी ने आँख खोली तो हरी उसकी ही आँखों में देख रहा था |मुन्नी ने हरी को चूमा और उससे लिपट कर सो गयी
आज हरी भी निडर होकर मुन्नी को चूम रहा था काफी देर तक चूमने के बाद दोनों एक दुसरे से बाते करने लगे थे |इस बीच हरी ने मुन्नी के लम्बे लम्बे नाखुनो वाला हाथ पकड़ा और धीरे से चूम लिया तो मुन्नी को याद आया कि कल उसके नाखुनो से हरी को खरोंच आयी थी |उसने अपने हाथ हरी के गालो पर घुमाया और पूछा कि ठीक हो गया क्या ? हरी हा में सर हिला देता है |
इनका यही क्रम प्रतिदिन चल ही रहा था की सरकार ने लॉक डाउन में ढील दे दी थी तो एक दी मुन्नी का भाई आया और मुन्नी को अपने साथ ले गया |मुन्नी तो गाँव चली गयी और पीछे छोड़ गयी कभी न भूल पाने वाली मीठी करवट की सुनहरी यादे ,अपने साथ ले गयी थी तो हरी का दिल हालाकि वह गाँव जाने से पहले हरी से मिली भी थी पर हमेशा की तरह नही |
हरी मुन्नी को याद करके यही सोचता रहता है की वह भी तो मेरे को याद कर रही होगी मुन्नी के गाँव जाने के बाद हरी की उससे एक बार भी मुलाकात नही हुई आपको क्या लगता है कि मुन्नी और हरी वापस कभी मिल पायेगे और मेरी यह अधूरी कहानी पूरी हो पाएगी ??