राधा की प्रेम कहानी : LOVE STORY OF RADHA

 मुकेश और राधा दोनों एक दर्द के साथ बिछड़ते पर एक दूसरे के कई सारे राज हमेशा के लिए पी जाते है और अपनी वफ़ा का परिचय देते है |

मुकेश शहर से दूर एक कस्बे में रहता है जहाँ पर उसका पूरा संयुक्त परिवार रहता है जिसमें उसके दादा दादी चाचा चाची माता पिता और उसकी बुआ रहते है मुकेश अभी बारहवीं क्लास में था जो गांव के एक सरकारी स्कूल में पढता है उसके पापा तो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है पर मम्मी मैट्रिक पास है जबकि चाचा चाची दोनों कॉलेज की पढाई किये हुए है जो मुकेश को आगे पढने के लिए प्रेरित करते है |

मुकेश नियमित रूप से स्कूल जाता है और पढाई करता है  सब कुछ ठीक से चल रहा था पर मुकेश के दादा दादी को उसकी बुआ  की शादी की चिन्ता खाए जा रही थी इसकी वजह से वे कमजोर भी होते जा रहे थे | परिवार ने उसकी बुआ की शादी जल्दी ही करने का फैसला किया दादाजी की बहुत पहचान होने के कारण रिश्ता बहुत  जल्दी ही हो गया था और शादी की तारीख भी तय हो गयी थी |

शादी दीपावली के लगभग २० दिन बाद होनी तय हुई थी | दिन बहुत ही कम थे और तैयारियां बहुत ज्यादा करनी थी इसलिए मुकेश ने भी कुछ दिन के लिए स्कूल से छुट्टी ले ली थी और घर वालो की मदद करने लगा था  तय दिनों के अनुसार सारा काम  हो रहा था  और शादी वाले दिन तो सब लोग बहुत ज्यादा ही व्यस्त हो गये थे  सारे रिश्तेदार आ गये थे तो पूरा घर भरा भरा सा लग रहा था |शाम के समय बारात आ गयी थी बारात ज्यादा दूर से नहीं आई थी वह पास के ही किसी गांव से आई थी तो समय पर पहुँच गयी थी मुकेश के दादा जी और समधी जी दोनों की आस पास के गांव ने खूब चलती थी तो दोनों तरफ से खूब सरे मेहमान आये थे |

मुकेश को बारात में आयी हुई दुल्हे की बहिनों और भाभियों की खातिरदारी की जिम्मेदारी दी गयी थी |सर्दियों का मौसम था तो सब लोग चाय कॉफ़ी ही ले रहे थे | शादी हो और रिश्तेदारों के नखरे न हो ऐसा हो ही नहीं सकता  कोई कुछ तो कोई और कुछ सब की अपनी अलग डिमांड थी |मुकेश उनको पूरी किये जा रहा था जब खाने का वक्त हुआ तो मुकेश अकेला पड़ गया था तो वह उनकी अनोखी अनोखी डिमांड से डर रहा था शाम के खाने में गाजर का हलवा ,लाप्सी ,खीर , खीर ,सब्जी और दाल तथा पुड़िया बनी थी | मुकेश अकेला ही सबको खाना किला रहा था तो भाग दोड़ थोड़ी सी ज्यादा थी |किसी ने झूठी थाली पेरो में रख दी थी जिस पर मुकेश खीर की बाल्टी से साथ फिसलकर गिर पड़ा था और खीर बारात में आई हुई एक लड़की पर जा गिरी थी खीर गर्म थी जिससे उसका बाया पैर जल गया था | मुकेश को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करें इतने में उसको वो थाली दिख जाती है तो वो गुच्छे से लाल पीला होकर जोर से कहता है कैसे बेगैरत लोग है खाकर के थाली कही पर भी रख देते  है क्या आप अपने घर पर भी ऐसे ही रखते है |

बारात में आई हुई एक औरत उस थाली को उठा लेती है और बोलती है किसी ने गलती से रख दी होगी आप गुच्छा मत करो में दूर रख देती हूँ  | वह खाली हो गयी बाल्टी में खीर लेने चला जाता है थोड़ी देर ने खीर लेकर वापस आता है तब तक माहोल ठण्डा हो चूका होता है  उसका गुच्छा भी ठण्डा पड़ जाता है और वह फिर से उनको खाना खिलाने लग जाता है |मुकेश को गुच्छे का फायदा भी हुआ कि अब कोई उससे फालतू डिमांड नहीं कर  रही थी पर दुःख इस बात का हुआ की उस लड़की पर खीर गिरा दी थी और उसका पैर जला दिया था |

सबको खाना खिलाने के बाद मुकेश उस लड़की के पास आता है और धीरे से बोलता है सॉरी वो जल्दबाजी में मुझे पता नहीं चला और मैं फिसल गया …और खीर आप पर गिर गयी थी |वह भी पहले तो सोच में पड़ जाती है फिर धीरे से बोलती हैं कोई बात नहीं हो जाता है जल्दबाजी में सबसे हो जाता है थोड़ी रुककर फिर बोलती है खीर ज्यादा गर्म नहीं थी नही तो  वह मुस्करा देती है | मुकेश  बोलता है नहीं तो मेरी खेर नहीं थी सब लोग मुझे तो नोचकर खा जाते  बात काटते हुए वह बीच में ही बोल देती है नहीं जी एसी कोई बात नहीं है सब लोग समझते है  |दोनों को लगातार बाते करते देख एक औरत उनको टोकते  हुए कहती है लो हो गयी राधा कृष्ण की लीला शुरू ! ऐसा सुनते ही दोनों एक दूसरे की तरफ देखते है और शर्मा जाते है |वह औरत फिर से बोलती है राधा आजा तेरी सलवार धो ले समधी जी के बेटे ने आते ही अच्छा स्वागत किया है |

मुकेश धीरे से पूछता राधा आपका नाम है  हाँ तो राधा बोलती है 

मुकेश :कुछ  नहीं वो … नाम अच्छा है राधा जी  आप जाइये और अपने कपडे साफ करिए नहीं तो पता नहीं और क्या सुनाएगे समधी जी के बेटे को  (मुकेश हंस देता है ) |

राधा भी मुस्करा कर  चली जाती है वह औरत राधा की चाची थी उसने राधा को कपडे साफ कराए और फिर बाते करने में मस्त हो गयी |राधा भी उनकी बाते सुनने के लिए नीचे बैठ गयी थी |मुकेश एकटक राधा को ही देखे जा रहा था वह भूल गया था कि उसके घर में शादी है और बहुत सारे लोग उसको देख रहे है और औरतो तो काम  ही यही होता है  |



वह केसरी कुर्ते और और हलके गुलाबी सलवार में बहुत खूब जस रही थी उसके गेहुए रंग पर मुकेश फिसल सा गया था वह अपने मन ने ही कुछ सोच रहा था उसको पता भी नहीं चला की सारी  औरतें  उसे ही देख रही थी किसी ने मुकेश को बुलाया तो उसका ध्यान वहाँ से हटा तो उसको अहसास हुआ कि उसके तो अभी बहुत सारे काम है और वह कहा खो गया था |वह तुरंत वहाँ से चला जाता है और कहता है बला तली ये औरते भी न …|

सब औरते राधा  की तरफ देखती है राधा अपना सिर झुका लेती है |

सब औरते राधा  की तरफ देखती है राधा अपना सिर झुका लेती है |  राधा की एक सहेली उसको धीरे से कोहनी मारते हुए पूछती है क्यों राधा जी ढूंढ लिया अपने कान्हा जी को  और आँख मारते हुए कहती है वेसे दिखने में तो अच्छा है क्या बाते कर रही थी |

राधा अपनी दोस्त को चिमटी काटती हुई कहती है नहीं रे ऐसा कुछ नहीं है वो तो खीर गिर गयी थी न तो उसके लिए सॉरी बोल रहे थे |

राधा की सहेली फिर से मजाकिया अंदाज में फिर से पूछती हैं कही खीर जानबूझ कर तो नहीं गिराई यदि ऐसा है तो पक्का शिकारी हैं क्या सही निशाने पर तीर मारा है और हंस देती हैं |

राधा : अरे यार तू भी न क्या   कुछ भी बोल रही है देखा नहीं था क्या उस थाली से फिसलकर कर गिरे थे |

रेखा  (राधा की सहेली ) : पर जो हो लड़का सब की नजरो में आ गया तू चिंता मत कर कुछ बोलना हो तो मुझे बता देना मैं फिर कब काम आउंगी |
   ( दोनों हंस देती है )

आज दोनों खुश थी रेखा जब भी मुकेश को देखती तो राधा को चिढाती की देख जीजू फिर से तुझे देखने आ गये  | तो एक बार राधा भी मजाक में कह रही है जीजू जीजू   क्या यह बात उसको भी पता है की वो तेरा जीजू है |

रेखा आश्चर्य से राधा की तरफ देखती है और कहती है अच्छा जी ऐसी बात है क्या ? तो एक तरफ से बात पक्की समझू  उन्हें भी पूछ लेती हूँ यदि दोनों तरफ से हाँ हो जाए तो इसी खर्चे में शादी भी करवा  देती हूँ |राधा फिर से चिमटी कटती है और कहती है तुझे बड़ी जल्दी है |

जब फेरो का समय हुआ तो सब एक ही आँगन में बैठे थे एक बार दोनों की नजरे मिली तो दोनों एक दूसरे में खो गये थे रेखा दोनों को बड़े ध्यान से देख रही थी और मन ही मन मुस्करा रही थी  |जब ध्यान हटा तो राधा ने इधर उधर देखा तो रेखा ने मुस्कराते हुए कहा कोई तीसरी आँख है जो आपको लगातार देख रही है |

राधा घबराते हुए पूछती है कोन है ? और तूने पहले क्यों नहीं बताया वेसे तो बहुत उगली करती है और एक वो भी सामने आकर खड़े हो गये |रेखा हँसते हुए कहती है अरे मैं ही हूँ राधा रानी | तो क्यों बे फालतू में डरा  रही है अभी मेरी तो जान  निकल जाती हूँ ……. मुंह बनाते हुए राधा बोलती है |

इश्क है रो रिश्क तो लेना ही होगा मेरी जान  रेखा पुचकारती हुई कहती है  तू यार दूर हठ जा मेरे से   राधा रेखा को धक्का देती हुई कहती है |

रेखा : वाह जी क्या खुदगर्ज है तू तो कोई मिल गया तो बचपन की दोस्त को धक्का मर दिया  बहुत अच्छा जी ऐसा कहकर राधा से दूर जाने लगती है |

राधा : रुक यार .. तू भी न एकदम पागल है कुछ भी बोले जा रही है वह कोन है मैं तो उसे जानती भी नहीं |

 

 

 

 

 

 

 

 

   

 

 

 

 

 

 

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