बन्दर और मोर – एक सीखदायक कहानी ( monkey and peacock )
एक जंगल में एक बन्दर रहता था जिसका नाम मन्त्री था। मन्त्री बहुत ही शरारती था और उसकी आदत थी दूसरों की चिढ़ाने की। एक दिन मन्त्री जंगल की ओर घूम रहा था और अचानक उसे एक मोर मिला। मोर बहुत ही सुन्दर था और उसकी रंगीन पंखों ने मन्त्री को बहुत प्रभावित कर दिया।
मन्त्री ने मोर से पूछा, “हे तुम कौन हो? तुम्हारे पंख इतने सुन्दर कैसे हैं?”
मोर गर्व से बोला, “मैं जंगल का सबसे सुन्दर पक्षी हूँ। मेरी रंगीन पंख मेरी खूबसूरती की वजह से हैं। तुम बस एक आम बन्दर हो, जो सबको चिढ़ाता रहता है।”
मन्त्री नाराज हो गया और बोला, “तू क्या समझता है खुद को? मेरी भी कोई अहमियत नहीं है क्या? मेरे पास भी अपनी खूबियाँ हैं।”
मोर मुस्कुराते हुए बोला, “हाँ, तुम्हारी अहमियत है, लेकिन तुम्हारी शरारती आदत तुम्हें नकारात्मक बना देती है।”
मन्त्री गहरी सोच में पड़ गया। वह अपनी आदत के बारे सोचने लगा और उसे समझ आ गया कि उसकी शरारती आदत उसे दूसरों के नजरों में कमजोर दिखाती है। वह अपनी आदत सुधारने का निर्णय लेता है।
उसने मोर से कहा, “तुमने मुझे एक महत्वपूर्ण सीख दी है। मैं अपनी आदत सुधारने का निर्णय लेता हूँ और दूसरों को चिढ़ाने की बजाय उनसे मदद करूंगा।”
इस बात से मोर बहुत खुश हुआ। उसने मन्त्री को धन्यवाद दिया और उसे बधाई दी कि वह अपनी आदत सुधारने का निर्णय लेकर सबके लिए एक अच्छा उदाहरण हो गया है।
जब से मन्त्री ने अपनी आदत सुधारी, उसका सम्मान बढ़ा और सभी लोग उसे पसंद करने लगे। वह एक सफल बन्दर बन गया जो दूसरों की मदद करता है।
इस कहानी का मोरल है कि हमें दूसरों की बुराई करने की बजाय अपनी आदतों को सुधारना चाहिए। हमें दूसरों की मदद करना चाहिए और उनसे सहयोग करना चाहिए।