चालाक लोमड़ी और बूढ़ा कछुआ (The Clever Fox and the Old Tortoise)

एक जंगल में एक बूढ़ा कछुआ रहता था। वह धीरे-धीरे चलता था और उसको गहरी आवाज़ सुनाई नहीं देती थी। जंगल के अन्य जानवर उस पर हंसते रहते थे और उसके साथ मजाक बनाते रहते थे। बूढ़े कछुए की चपलता उसके धीरे-धीरे बढ़ते हुए आयु के साथ कम होती जा रही थी, और यह उसकी चिंता का कारण बन रहा था।

एक दिन, एक चालाक लोमड़ी जंगल में आ गई। वह देखा कि बूढ़े कछुए की कोई साथी नहीं है, इसलिए उसने उसे पास जाकर पूछा, “हे बूढ़े कछुए! तुम इतने उदास क्यों हो? क्या तुम्हें कोई परेशानी है?”

बूढ़ा कछुआ बताता हैं, “हाँ, मेरी आयु बढ़ रही है, और मैं इस जंगल में अकेला हूँ। इसलिए मुझे चिंता हो रही है।”

लोमड़ी ने एक चाल चली और कहा, “आप चिंता न करें, मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। मेरे पास एक चमत्कारी विचार है।”

बूढ़ा कछुआ चकित हो गया और पूछा, “वाकई? कौन सा विचार है तुम्हारे पास?”

लोमड़ी ने हंसी भरी आँखों से कहा, “मेरे पास एक चमत्कारी प्लान है। देखो, यहां एक बारिश का जला हुआ पेड़ है जिसमें कुछ जैविक खाद छिपी है। मेरा विचार है कि हम इस पेड़ के नीचे जाएंगे और जैविक खाद खा कर हमारी आयु बढ़ाएंगे। फिर हम फिर से यूं ही जुगाड़ करेंगे और आनंद से रहेंगे!”

भूढ़े कछुए ने सोचा और फिर मुस्कुराते हुए कहा, “तुम्हारा विचार अच्छा है और मेरी चिंता दूर करेगा। चलो फिर, हम प्लान को आजमाते हैं।”

लोमड़ी और कछुआ ने बारिश के जले हुए पेड़ के नीचे जाकर खाद खाई और थोड़ी देर में उनकी आयु बढ़ने लगी। वे फिर से यूं ही धीरे-धीरे चलने लगे और बाकी के जानवर उनके मजाक बनाने वाले थे।

एक दिन, लोमड़ी ने कहा, “हे बूढ़े कछुए! आप बहुत स्वस्थ और मस्त लग रहे हैं। क्या आप मेरे साथ एक दौड़ में भाग नहीं लेंगे ?” बूढ़ा कछुए ने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे नहीं, मेरी आयु अब बहुत ज्यादा हो गई है और मेरी ताकत भी कम हो गई है। मैं नहीं दौड़ सकता।”

 

लोमड़ी ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा, “कोई बात नहीं, हम बिना तुम्हारी मदद के भी दौड़ सकते हैं।”

बूढ़ा कछुआ ने आखिरकार स्वीकार कर लिया और वे दौड़ लगाने के लिए तैयार हो गए। सभी जानवर उनकी ओर देख रहे थे, और बूढ़े कछुए को गर्व था कि वह फिर से कुछ कर पा रहा था।

लोमड़ी और बूढ़ा कछुआ ने दौड़ शुरू की, और बाकी के जानवर ने उनकी ओर ताने मारे। लोमड़ी बेहतर ताकत और गति के कारण आगे बढ़ती गई, जबकि बूढ़े कछुए को मुश्किल हो रही थी। फिर एक बार बूढ़े कछुए ने दौड़ को छोड़ दिया और लोमड़ी अकेली दौड़ जारी रखी।

लोमड़ी आखिरकार दौड़ को पूरा कर गई और समृद्धि के बादलों में गायब हो गई। उसने वापस मुड़कर देखा ही नही |

हमें भी हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए | यदि कछुआ भी दोड़ता तो वह भी लोमड़ी के साथ बहुत आगे बढ़ जाता और जंगल के जानवर देखते रह जाते |

Leave a Comment