अखबर बीरबल की कहानी Akabar Beerbal ki story
Akabar Beerbal ki story
एक बार अकबर बादशाह ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुमने कभी खबर देखी है?”
बीरबल ने उत्तर दिया, “जी हाँ, महाराज। मैंने खबरों को बहुत ध्यान से पढ़ा है।”
अब अकबर ने एक चालाक योजना बनाई। उन्होंने बीरबल को बुलाया और कहा, “बीरबल, मैंने एक नई खबर लिखी है। मैं चाहता हूं कि तुम इसे अपनी अखबार में छापो।”
बीरबल ने खबर पढ़ी और फिर बादशाह से पूछा, “महाराज, यह खबर झूठी है।”
अकबर नाराज हो गए और बोले, “तुम कैसे कह सकते हो कि यह खबर झूठी है?”
बीरबल ने उत्तर दिया, “महाराज, इस खबर में जो कुछ भी लिखा है, वह सच नहीं हो सकता।”
अकबर थोड़ी देर सोचते रहे और फिर बोले, “तुमने सही कहा, बीरबल। इससे मुझे एक बड़ा सबक मिला है। हमेशा सत्य के बारे में ही लिखा जाना चाहिए।”
बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “धन्यवाद, महाराज। मैं आपकी इस सलाह को कभी नहीं भूलूंगा , और मेरी अखबार में हमेशा सत्य और यथार्थ खबरें ही छापूंगा।”
अकबर ने बीरबल की समझदारी की तारीफ की और उन्हें एक बड़ा हस्ताक्षर और सम्मान दिया। बीरबल ने धन्यवाद कहा और महाराज के आदेश के अनुसार सत्य और यथार्थ खबरें ही अपनी अखबार में छापना जारी रखा। इससे लोगों की भरोसा बढ़ी और उनकी आपसी समझ में सुधार हुआ।
बीरबल की यह कहानी बताती है कि सत्यता और यथार्थता एक अच्छे पत्रकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। खबरों की सटीकता और विश्वसनीयता जरूरी है ताकि लोग सही जानकारी प्राप्त कर सकें और गलत फैल रहे अफवाहों से बचा जा सके। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमेशा सत्य और यथार्थता पर ध्यान देने चाहिए और झूठी खबरों को फैलाने से बचना चाहिए।